Apoorva Shukla

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लेखनी कविता - स्वयं संवाद

स्वयं संवाद 🍁🍁🍁

सब कहते हैं 
कितना बोलती हैं तू 
थोड़ा चुप रहा कर
सच कहते हैं.. 
मैं बोलती बहुत  हूँ
और हाँ मुझे बोलना हैं ताकि
मुझे सुना जा सकें.. 
वो ये जानते हैं कि मैं बोलती  बहुत हूँ
पर वो नहीं जानते हैं
बोलते हुएं इंसान की चुप्पी क्या होतीं हैं.. 
उन्हें आवाजों की ख़ामोशी का पता ही नहीं
उन्हें पता ही नहीं कितना कुछ छुपाएँ रखा हैं
दिल में दफ़नाये रखा हैं.. 
और हाँ मुझे बोलना हैं 
ताकि मुझे सुना जा सकें.... 
वो सब ये जानते हैं कि बोलती बहुत हूँ मैं
पर वो ये नहीं जानते की मैं बोलती बस उतनों से ही हूँ.. 
और बोलने का तो बस बहाना हैं 
वरना चुप्पी तो मेरा वर्षों का ठिकाना हैं.... 
जब कभी ख़ामोश अल्फ़ाज़ पढ़ पाओगे,तुम सब
तब तुम जानोगे मैं कितना कम बोलती हूँ.. 
और हाँ मुझे बोलना हैं 
ताकि मुझे सुना जा सकें.... 

अपूर्वा शुक्ला ✍✍✍✍

# प्रतियोगिता स्वैच्छिक

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6 Comments

शानदार प्रस्तुति 👌

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Sushi saxena

23-Nov-2022 06:11 PM

Nice

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Teena yadav

23-Nov-2022 05:49 PM

Superb 👍

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